Monday 19 February 2024

महाभारत श्री. कृष्ण सार: निर्णय- भविष्य- सु:ख - दुःख - भाग ३

                                                                          भाग ३

                महाभारत श्री. कृष्ण सार: निर्णय- भविष्य- सु:ख - दुःख

                        श्री कृष्णके मधुर बोल एवम वचन - SHREE KRISHNA SEEKH भाग -




!! जीवन का हर क्षण निर्णय का क्षण होता है !! प्रत्येक पद पर दुसरे पद के विषय में कोई निर्णय करना ही पडता है !! और निर्णय, निर्णय प्रभाव छोड ही जाता है !! आज किये गये निर्णय भविष्य में सुख अथवा दुःख निर्मित करते है !! ना केवल अपने लिये, अपने परिवार के लिये भी, आणेवाली पिढी के लिये भी, जब कोई दुविधा सामने आती  है !! तो मन व्याकुल हो जाता है !! अनिश्च्यय से भर जाता है !! निर्णय का वो क्षण युद्ध बन जाता है !! और मन बन जाता है युध्दभुमी !! अधिकतर निर्णय हम दुविधा का उपाय करने के लिये नहीं, केवल मन को शांत करने के लिये लेते है !!


                                         पर क्या कोई दोडते हुए भोजन कर सकता है ?

                                                                        नहीं.


                           तो क्या युद्ध से झुजता हुआ मन कोई योग्य निर्णय ले पायेगा ?




वास्तव में शांत मन से जब कोई निणर्य करता है !! तो अपने लिये सुखद भविष्य बनाता है !! किंतु अपने मन को शांत करने के लिये जब कोई निर्णय करता है, तो वो व्यक्ती भविष्य में अपने लिये काटो से भरे वृक्ष लगाता है !!


                                                     !!! स्वयंम विचार किजीये !!!


मुझे नयी धारावाहिक स्टार प्लस पर नये सिरे से प्रसारित कि गई महाभारत गाथा और इसमे से सारे पात्र उनके संघर्ष कि कहाणी पुन्हा पुन्हा सुनने का अवसर मिला. 

श्री. कृष्ण भगवान (सौरभ जैन जी उनका एक यादगार अजरामर किरदार ) उनके इस किरदार ने मुझपर कुछ ऐसा असर किया  कि मैने सारे महाभारत के एपिसोड पुन्हा पुन्हा सुनकर उसमे से मेरे सबसे अधिक प्रिय पात्र श्री. कृष्ण भगवान के लगभग सारे डायलॉग एक डायरी में लिख लिये ताकी जब भी कभी मुझे अकेलापण महसूस हो, मेरी सोच  नकारात्मकता से भर जाये तब मे श्री. कृष्ण भगवान के इन्ही मधुर बोल एवंम वचन को पढकर पुन्हा मेरी उर्जा एक जगह केंद्रित करके मेरे जीवन का लक्ष्य हासील कर सकू.  

बस यही विचार के साथ मेने मेरे अपने डायरी में लिखे वो सारे डायलॉग जो कि स्टार प्लस (Star plus) और  डिस्ने +  हॉट स्टार (Dinsey + Hotstar) पर १६ सप्टेंबर २०१३ से १६ ऑगस्ट २०१४ में प्रदर्शित कि गयी महाभारत  गाथा कि पेशकश हे उन्हे यहा पर पुन्हा एक बार जैसे शब्द है वैसे ही लिखणे कि कोशिश कि है.

सिद्धार्थ कुमार तिवारी और अन्य लिखित, अमोल सुर्वे, सिद्धार्थ, कुमार आनंद और अन्य द्वारा निर्देशित किये श्री. व्यास जीं कि महाभारत गाथा के श्री कृष्ण भगवान के मुख से निकले कुछ सवांद  यहा आपके लिये वापस एक बार

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Sunday 11 February 2024

संतान - सुख, सुरक्षा उसका चरित्र और मनुष्य के कर्म भाग -२


                   संतान - सुख, सुरक्षा उसका चरित्र और मनुष्य के कर्म

मुझे नयी धारावाहिक स्टार प्लस पर नये सिरे से प्रसारित कि गई महाभारत गाथा और इसमे से सारे पात्र उनके संघर्ष कि कहाणी पुन्हा पुन्हा सुनने का अवसर मिला. 

श्री. कृष्ण भगवान (सौरभ जैन जी उनका एक यादगार अजरामर किरदार ) उनके इस किरदार ने मुझपर कुछ ऐसा असर किया  कि मैने सारे महाभारत के एपिसोड पुन्हा पुन्हा सुनकर उसमे से मेरे सबसे अधिक प्रिय पात्र श्री. कृष्ण भगवान के लगभग सारे डायलॉग एक डायरी में लिख लिये ताकी जब भी कभी मुझे अकेलापण महसूस हो, मेरी सोच  नकारात्मकता से भर जाये तब मे श्री. कृष्ण भगवान के इन्ही मधुर बोल एवंम वचन को पढकर पुन्हा मेरी उर्जा एक जगह केंद्रित करके मेरे जीवन का लक्ष्य हासील कर सकू.  

बस यही विचार के साथ मेने मेरे अपने डायरी में लिखे वो सारे डायलॉग जो कि स्टार प्लस (Star plus) और  डिस्ने +  हॉट स्टार (Dinsey + Hotstar) पर १६ सप्टेंबर २०१३ से १६ ऑगस्ट २०१४ में प्रदर्शित कि गयी महाभारत  गाथा कि पेशकश हे उन्हे यहा पर पुन्हा एक बार जैसे शब्द है वैसे ही लिखणे कि कोशिश कि है.

सिद्धार्थ कुमार तिवारी और अन्य लिखित, अमोल सुर्वे, सिद्धार्थ कुमार आनंद और अन्य द्वारा निर्देशित ये श्री. व्यास जीं कि महाभारत गाथा के श्री कृष्ण भगवान के मुख से निकले कुछ सवांद आपके लिये.  

                                                               श्री कृष्ण सार 

                  श्री कृष्णके मधुर बोल एवम वचन - SHREE KRISHNA SEEKH भाग -

                            संतान - सुख, सुरक्षा उसका चरित्र और मनुष्य के कर्म

  !! संतानो के भविष्य को सुख से भरणे का प्रयत्न करना याही हर माता- पिता का प्रथम कर्तव्य होता है !!

!! जिन्हें आप इस संसार में लाये, और जिनके कर्मो से ये जगत आपक भी परिचय पायेगा भविष्य में उनके               भविष्य कि सुख कि योजना करणे से अधिक महत्व और हो भी क्या सकता है !!

                                  किंतु सुख और सुरक्षा क्या ये मनुष्य के कर्म से प्राप्त नही होते. ?


माता - पिता के दिये हुए अच्छे या बुरे संस्कार, उनकी दि हुई योग्य अथवा अयोग्य शिक्षा क्या आज के सारे कर्मो का मोल नही.

                                         संस्कार और शिक्षा से बनता है मनुष्य का चरित्र.

                                                                    अर्थात 


!!! माता - पिता अपने संतानो का जैसा चरित्र बनाते है, वैसा ही बनता है उनका भविष्य, किंतु फिर भी अधिकतर माता- पिता अपनी संतानो का भविष्य सुरक्षित करने कि चिंता में उनका चरित्र निर्माण का कार्य भूल ही जाते है. !!!

                                                                    वस्तुतः 

!! जो माता- पिता अपने संतानो कि भविष्य कि चिंता करते है !! उनकी संतानो को कोई लाभ नही होता. !! किंतु जो माता- पिता अपने संतानो के भविष्य का नही उनके चरित्र का निर्माण करते है !! ऊन संतानो कि प्रशस्ती समस्त संसार करता है !!


                                                  !!! स्वयंम विचार किजीये !!!


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